दूध पीने के नियम
दूध पीने के नियम —
दूध पीने के नियम —
बोर्नविटा , होर्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है
की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध पिला दिया बस हो गया . चाहे बच्चे दूध पसंद करे ना करे , उलटी करे , वे किसी तरह ये पिला के ही दम लेती है . फिर भी बच्चों में केल्शियम की कमी , लम्बाई ना बढना इत्यादि समस्याएँ देखने में आती है .
आयुर्वेद के अनुसार दूध पिने के कुछ नियम है —
– सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है .
– रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के ;
हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच दाल के
ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास
होती है वो हम शकर डाल देने के कारण अनुभव
ही नहीं कर पाते .
– एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे
रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल
और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने
लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध
पर निर्भर नहीं .
– दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे
पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
– बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स
किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे
नहीं हो सकते . इनके लुभावने
विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए .
बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे
के लड्डू खिलाइए
– देशी गाय का दूध ले .
– जर्सी या दोगली गाय या भैंस के दूध का प्रयोग ना करें
– दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और
दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ
ना खाए . खीर के साथ नमकीन पदार्थ
ना खाए .
– चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
– सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल
ना करे .