आधुनिक जीवनशैली में वेस्टर्न खान पान का प्रभाव
आधुनिक जीवनशैली में वेस्टर्न खान पान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे बच्चे व युवा पीढ़ी पर हो रहा है। हमारे बच्चों में फ़ास्ट फ़ूड जैसे की बर्गर पिज़्ज़ा नूडल्स मंचूरियन आदि और सॉफ्ट शुगरी ड्रिंक्स का चलन बहोत बढ़ रहा है। खाने पीने के प्रति लापरवाही बढ़ रही है। विदेशी आहार के स्वाद इतने लुभावने होते है की हमारी युवा पीढ़ी और बच्चे इनकी तरफ बढ़ जाते है।
ज्यादातर शहरों में माता पिता दोनों कामकाजी होने से उनके पास ना तो अच्छा पौष्टिक खाना बनाने का वक्त होता है और ना ही ये देखने का की उनके बच्चे अकेले या अपने दोस्तों के साथ बाहर क्या खा रहे है। ये फास्ट फ़ूड ना सिर्फ हमारे शरीर पर बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डालते है।
फ़ास्ट फ़ूड से होनेवाले दुष्परिणाम की जानकारी नीचे दी गयी हैं :
- फ़ास्ट फ़ूड में अधिक मात्रा में फैट, शूगर होती है। ये ज्यादातर मैदे से बने होते है। चटपटे मसालेदार होने से स्वाद में तो अच्छे लगते है पर पौष्टिकता न के बराबर होती है।
- इसमें मौजूद फैट और शुगर की अधिक मात्रा, प्रिज़र्वेटिव्स, प्रोडक्ट्स की लो क्वालिटी अजिनोमोटो जैसे हानिकारक तत्व , प्राकृतिक रंग, सब्जियों में उपयोग किये हुए pesticides आदि ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकरक होते है बल्कि एक बार इन्हें खाना शुरू कर दे तो फिर धीरे धीरे इसकी लत लग जाती है और इसका पता जब तक लगे तब तक इंसान का वजन कई गुना बढ़ जाता है।
- इसमें मौजूद शुगर और बाक़ी खाद्य पदार्थ हमारे दिमाग पर ड्रग जैसा प्रभाव डालते है। धीरे धीरे इसका असर भूख पर होता है।
- खाने के साथ सॉफ्ट ड्रिंक लेने से पेट जल्दी भर जाता है और पोषक तत्व शरीर को नहीं मिलते है।
- कहते है“जैसा खाए अन्न वैसा होए मन “ शुगर और फैट्स से भरपूर ये जंक फ़ूड एवम् ड्रिंक्स मोटापा , डायबिटीज, हाइपरटेंशन ,सुस्ती, त्वचा विकार आदि कई शारीरिक और अनिद्रा , तनाव, डिप्रेशन आदि मानसिक विकारों को जन्म देते है।
- ये ड्रिंक्स शरीर में एसिड का काम करते है जिससे अल्सर या कैंसर जैसी घातक बीमारी होने की आशंका रहती है।
- इन चीजों से क्विक एनर्जी तो मिलती है पर पोषक तत्व ना होने से धीरे धीरे शरीर खोखला होता जाता है।