भोजन के बाद तुरंत पानी कैसे करता शरीर को नुकसान?
भोजन के अन्त में पानी विष के समान है|
भोजन हमेशा धीरे-धीरे, आराम से जमीन पर बैठकर करना चाहिए ताकि वह सीधे अमाशय में जा सके| यदि पानी पीना हो तो भोजन के 48 मिनट पहलें पी लें| भोजन के समय पानी न पिएं| यदि प्यास लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठठा/ छाछ ले सकते है या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते हैं (डिब्बा बन्द फलोंका रस ग़लती से भी न पिए) और पानी भोजन के डेढ़ घंटे बाद ही पिएं|
अधिक ठंडा पानी नहीं नहीं पीना है क्योंकि जब हम भोजन करते है तो उस भोजन को पचाने के लिए हमारे जठर में अग्नि प्रदीप्त होई है| उसी अग्नि से वह खाना पचता है| यदि हम ठंडा पानी पिते हैं तो खाना पचाने के लिए पैदा हुई अग्नि मंद पड़ती है और खाना अच्छी तरह से नहीं पचता और वह विष बनता हैं|कई तरह कि बीमारियां पैदा करता है| भोजन के मध्य में थोडा सा पानी पी सकते हैं एक दो घूँट भर| लेकिन अन्त में पानी न पिएं| इससे अमाशय में कफ कि मात्रा बढ़ जाती हैं जो मोटापे का सबसे बड़ा कारण है अर्थात अगर मोटापा दूर करना हो तो भोजन के अन्त में पानी पीना बन्द कर दें| एक-दो महीने में काफी लाभ मिलेगा करके देख सकते हैं|
जिनके पित्त ज्यादा बनता हो उन्हें गर्म किया हुआ पानी ठंडा करके पीना चाहिए, गर्म पानी या गुनगुना पानी कभी नहीं पीना चाहिए| गर्म किया हुआ पानी पाचक, गले की बीमारियों को दूर करने वाला, पचन में हल्का होता हैं| पानी इतना गरम करें कि पानी का 1/4 भाग (चतुर्थांश) जल जाये फिर ठंडा करके पिएं |जिनके कफ ज्यादा बनता हो उन्हें गर्म किया हुआ ठंडा पानी पिलाएं लेकिन 2/3 भाग पानी जल गया हो बाकी ¼ भाग पानी पिलाएं| जिनको वायु अधिक अधिक बनती हो उनको गरम किया हुआ पानी जब आधा जल जाए तब उसे ठंडा करके पीने का विधान है| ठन्डे शीतल जल को पचने में 6 घंटे लगते है| गरम करके ठंडा किया हुआ जल 3 घंटे में पचता हैं और गुनगुने पानी पिने पर वह एक घंटे में ही पच जाता है इसलिए गुनगुना पानी पीना सर्वोत्तम हैं|
वर्षा के जल को किसी पात्र में एकत्र करना चाहिए | यह पानी ही सर्वोत्तम है| जमीन पर गिरा हुआ पानी नहीं पीना चाहिए|
फायदे:-
मोटापा कम करने के लिए यह पद्धति सर्वोत्तम है | पित्त कि बीमारियों को कम करने के लिए, अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द, कब्ज, गैस आदि बीमारियों को इस पद्धति से अच्छी तरह से ठीक किया जा सकता है|