आ गावो अग्मन्नुत भद्रमक्रन्त्सीदन्तु गोष्ठे रणयन्त्वस्मे। प्रजावतीः पुरूरूपा इद स्युरिन्द्राय पूर्वीरूषसो दुहानाः।।
आ गावो अग्मन्नुत भद्रमक्रन्त्सीदन्तु गोष्ठे रणयन्त्वस्मे। प्रजावतीः पुरूरूपा इद स्युरिन्द्राय पूर्वीरूषसो दुहानाः।।
‘गौओंने हमारे यहां आकर हमारा कल्याण किया है। वे हमारी गौशालामें सुख से बैठें और उसे अपने सुंदर शब्दों से गुंजा दें। ये विविध रंगों की गौएं अनेक प्रकार के बछडे-बछडियां जनें और इन्द्र (परमात्मा)-के यजन के लिये उषःकाल से पहले दूध देनेवाली हों।’