“कृषक खेत हल बैल चलावा | सस्य स्यामला धरनी बनावा || अन्न उपजि करि छुधा मिटावा | उर संतोष मुदित मन पावा ||”
अर्थ – गौमाता बोली मेरे बछडे ही हल जोतते हैं, कृषि करके भूमि को संवारते है| अन्न पैदा करके प्राणियों की भूख मिटाते हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि बैलों से हल जुते हुए खेत के अन्न खाने से भूख मिटने के साथ संतोष भी प्राप्त होता है एवं मन मे प्रसन्नता भी आती है |