गोमाता की सामान्य बीमारियॉं, रोग होने के सामान्य कारण एवं रोगी गोमाता के लक्षण
गोमाता की सामान्य बीमारियॉं
गोमाताओं की सामान्य बीमारियॉं
गोमाताओं को भी रोग उतना ही कश्ट देते हैं, जितना की मनुश्यों को । अन्तर इतना ही है कि हम मनुश्य विवेक, साधन तथा उपायों व्दारा किसी सीमा तक रोग दूर करके कश्ट का निवारण कर लेते हैं, किन्तु बेचारे मूक, असहाय, विवष तथा पूॅंछ हिलाने तक का उपाय कर सकने वाले गोमाता रोग ग्रसित होकर कश्टों को सहते रहते हैं ।
किसी गोमाता के रोगग्रस्त हो जाने पर उसे गोषाला से हटाकर अलग ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहॉं प्रकाष व हवा अच्छी तरह से आए – जाए, किन्तु पशु के ऊपर न हवा झोंका सीधा लगे और न ही धूप । मक्खी – मच्छर से बचाने के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए । यदि गोमाता एक दिन से अधिक एक करवट से पडा रहे तो असकी करवट बदलने की चेश्टा करना चाहिए । रोगी पषु की देखभाल बडी सावधानी से करना चाहिए ।
रोग होने के सामान्य कारण
1. चारा – दाना आवष्यकता से कम मिलना ।
2. खुराक में आवश्यक पौष्टिक तत्वों का मेल न होना ।
3. सडा – गला दाना तथा चारा खाना व गन्दा पानी पीना ।
4. गन्दा स्थन, अधिक वर्शा, सर्दी व गर्मी से बचने का प्रबंध न होना ।
5. छूत की बीमारियों से बचाव के बारे में गोपालक की अनभिज्ञता ।
रोगी गोमाता के लक्षण
1. चारे – दाने का त्याग ।
2. जुगाली न करना ।
3. गोबर न करना या पतला होना ।
4. बार – बार उठना – बैठना ।
5. उदास रहना ।
6. झुण्ड से अलग रहने की इच्छा ।
7. दूध कम देना या न देना ।
8. ऑंखो का लाल हो जाना ।
9. जल्दी – जल्दी सांस लेना ।
10. मुख सूखना ।
11. मुंह व नाक से पानी गिरना ।
12 कंपकपी आना, आदि ।