January 23, 2025

आवेदकों के लिए जानने युक्त जानकारी

  •  कुल 187 घंटे की पढाई / प्रक्टिकल्स होगी. इसमें कुल मिला कर लगभग 1 वर्ष का समय लगता है.
  •  उतीर्ण विद्यार्थी ”गव्यर्षी” कहलायेंगे. जिनके लिए दीक्षांत समारोह “वैदिक पंचगव्य गुरुकुल एवं अनुसन्धान केंद्र” भारत के किसी भी राज्य में आयोजित करेगा. जहाँ ” गव्यर्षी” को दीक्षांत किया जायेगा.
  •  गव्यर्षी को अपने मरीजों के लिए पंचगव्य की औषधियों के निर्माण का पूर्ण अधिकार होगा.

इसके बाद गव्यर्षी को 1 वर्ष तक चिकित्सा अभ्यास गुरुकुल के किसी आचार्य के सानिध्य में करना होता है. इसके लिए गव्यर्षी अपने गृह क्षेत्र में ही रह कर ऑनलाइन व्यवस्था के तहद गुरुकुल के आचार्य के सानिध्य में चिकित्सा अभ्यास कर सकते हैं. 1 वर्ष के चिकित्सा अभ्याश पूरा होने के बाद पूर्ण ‘गव्यर्षी‘ कहलायेंगे और उन्हें वैदिक पंचगव्य गुरुकुल की ओर से अभ्यास पूर्णता प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा. गव्यर्षी यदि प्रोफेशनल रूप में मेडिकल अभ्यास करना चाहते हैं तो रजिस्ट्रेशन करा कर विश्व में कहीं भी चिकित्सा अभ्यास कर सकते हैं. (जिन देशों में भारत की शिक्षा को मान्यता प्राप्त है.) और अपने नाम के साथ गव्यर्षी भी लिख सकते हैं. जैसे “गव्यर्षी नितेश ओझा” (MD) PT – AM

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