January 23, 2025

प्रांतीय विस्तार शुरू करने के लिए

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वैदिक पंचगव्य गुरुकुल शिक्षा की शिक्षण पद्धति को स्वीकार कर, सम्पूर्ण गो आधारित पारंपरिक चिकित्सा के इस विज्ञान को शास्त्रोक्त आधार पर शिक्षा प्रदान करता है.

* गौमाता में चिकित्सा, शिक्षा और अर्थ *

गोमाता को चिकित्सा एवं अर्थ के आधार पर फिर से स्थापित करने की दिशा में जो प्रयास वैदिक पंचगव्य गुरुकुल कर रहा है. और उससे 2016 में 110 पंचगव्य चिकित्सक तैयार हुए जिनमे से 67 लोगो ने गंभीरता पूर्वक पंचगव्य चिकित्सालय, स्वावलंबी गोशाला चलाने का निर्णय लिया और उनके कार्य बहुत तेजी से बढ़ रहा है | आज तिथि तक वैदिकपंचगव्य गुरुकुल के माध्यम से लगभग ४६० पंचगव्य चिकित्सक तैयार होकर स्वास्थ सेवा कार्य में जुटे है.

यह भारत में पहला प्रयास है जब मात्र एक वर्ष की पढाई पूरी कर पंचगव्य में चिकित्सक बनने की सुविधा भारत सरकार के संसदीय बोर्ड की तरफ से खुला है| यह कदम पूंजी के युग में गोमाता को पूंजी के आधार पर स्थापित करने का रास्ता दिखाता है| जब लोगो को यह पता चल रहा है की एक गाय अपने गव्यो से प्रतिदिन हजारों रुपयों की औषधीय वस्तुए प्रदान करती है, तब शायद ही किसी व्यक्ति का दिल करे की वो गाय को कसाई के हाथ बेचने का निर्णय ले, अत: गोरक्षा की दिशा में यह कदम मिल का पत्थर साबित हो रहा है |

यही कारण है की हमारी योजना भारत के सभी राज्यों में कम से कम एक और उससे अधिक गुरुकुल विस्तार एवं चिकित्सा परामर्श केंद्र खोलने का है| इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक पंचगव्य के चिकित्सक तैयार करने की जरुरत है | जो जनकल्याण की दृष्टी से लोगो को निरोगी भी करे और गोपालको के लिये गाय से अच्छी आमदनी का रास्ता दिखा सके |

इसी के मद्देनजर वैदिक पंचगव्य गुरुकुल का विस्तार सभी राज्यों में होने जा रहा है, ताकि पंचगव्य चिकित्सा विज्ञानं की शिक्षा वहा की स्थानीय भाषाओं में हो सके |

वैदिक पंचगव्य गुरुकुल प्रांतीय विस्तार शुरू करने के लिए आवश्यक योग्यता एवं व्यवस्था :

  1. कम से कम 2 M.D. पंचगव्य चिकित्सक या A.D.P.T. – गव्यर्षि की उपलब्धता |
  2. ट्रेनिंग के लिए 5 गाय की गोशाला की व्यवस्था |
  3. कक्षा के लिए 1 कमरा |
  4. प्रायोगिक कक्षा के लिए 1 कमरा |
  5. लोगो के लिए ठहरने की एवं खाने की कम से कम ग्रामीण स्तर पर व्यवस्था |
  6. प्रक्टिकल के लिए सामानों की व्यवस्था |
  7. भोजन व्यवस्था यथा संभव जैविक हो |

शिविर का अवधि एवं जगह :

पहला प्रायोगिक शिविर                                   – 5 दिनों का प्रांतीय केंद्र में होगा

दूसरा प्रायोगिक शिविर                                    – 5 दिनों का प्रांतीय केंद्र में होगा

तीसरा प्रायोगिक शिविर (अंतिम) एवं परीक्षा  – 7 दिनों का मुख्य वैदिक पंचगव्य गुरुकुल में परीक्षा के साथ |

नामांकन:

वर्ष में दो बार पहला दिसम्बर में और दूसरा मई में |

प्रांतीय विस्तार शुरू करने के लिए यहाँ आवेदन करें. या info@vaidikpanchgavya.org पर संपर्क करें.

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